📅 शुरुआत और अवधि
- 📅 शुरुआत और अवधि
श्रावण मास (Sawan) की शुरुआत: 11 जुलाई 2025, रात 2:06 बजे से
कांवड़ यात्रा प्रारंभ: 11 जुलाई 2025 से ही शुरू मानी जाती है
समापन: अधिकांश जगहों पर यात्रा 23 जुलाई 2025 (सावन शिवरात्रि) को समाप्त होगी । कुछ क्षेत्रों में 9 अगस्त तक जारी भी रहती है ।
🕉️ आध्यात्मिक महत्व
श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। कांवड़ यात्रा बारहवें शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाने की भक्ति का महापर्व है।
इसकी मूल कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है—शिव ने विष पिया था, तब भक्तों ने उन्हें राहत देने गंगाजल चढ़ाना शुरू किया
🚶♂️ यात्रा स्थल और प्रमुख गंगाजल लेने की जगहें
कांवड़िए अक्सर ये स्थान चुनते हैं:
हरिद्वार (Har Ki Pauri) – गंगाजल लेने का प्रमुख स्थल
गौमुख और गंगोत्री (Gaumukh, Gangotri) – हिमालय से गंगाजल लाने के लिए
प्रयागराज (Sangam, Dashaswamedh गाट) – इलाहाबाद से वट्स और गंगा मिलन के लिए
काशी (Kashi Vishwanath, Varanasi) – जलाभिषेक का प्रमुख केंद्र
बागपत (Pura Mahadeva, near Meerut) और औघड़नाथ मंदिर (Meerut) – स्थानीय शिव मंदिर में जल चढ़ाया जाता है
देवघर (Baidyanath Temple) – झारखंड में श्रावणी मेले के दौरान भी गंगाजल चढ़ाया जाता है
📋 यात्रा के प्रमुख बिंदु
यात्रा की अवधि
तिथि
विवरण
11 जुलाई 2025
श्रावण मास शुरू, कांवड़ यात्रा आरंभ
14, 21 जुलाई 2025 (सोमवार)
कावड़ यात्रा विशेष ध्यान और श्रद्धा के साथ • पहला सावन सोमवार 14 जुलाई
23 जुलाई 2025
सावन शिवरात्रि—मुख्य जलाभिषेक दिवस
9–10 अगस्त 2025
कुछ जगहों पर अंतिम यात्रा समापन
📝 नियम और तैयारियाँ
एकांत आचरण: सात्विक भोजन, व्रत, संयमित जीवन, निकोटिन और मद्य से परहेज ।
दांडी, खड़ी, साधारण, डाक कांवड़: भक्त अपनी क्षमता और आस्था के अनुसार चुनते हैं
मेडिकल और सुरक्षा व्यवस्था: Meerut, Prayagraj, Varanasi सहित कई शहरों में शिविर, स्वास्थ्य केंद्र, सीसीटीवी, ड्रोन और पुलिस तैनाती की जाती है ।
🌄 कांवड़ यात्रा का अनुभव
फूलों से सजाए गए कांवड़, संगीतमय “बोल बम” नारे, गंगा घाटों पर सभी उम्र और लिंग के सहभागी – यह एक ऐसा दृश्य है जो आस्था और उमंग से सराबोर होता है। महिलाओं का बढ़ता हिस्सा आत्मबल दिखाता है ।
युवा प्रतिभागी जैसे राहुल कुमार (दिल्ली), जो 220 किमी चलकर 121 लीटर गंगाजल लाए—उनकी प्रेरक कहानियां श्रद्धा और उमंग का प्रतीक हैं।
🧭 सुझाव
स्थानिक अनुभव जोड़ें: Meerut में औघड़नाथ, बागपत के अस्थानी आयोजनों की झलक।
कथा-आधार बताते हुए क्यों भक्त इतनी दूर से गंगाजल लाते हैं।
तिथियों के साथ व्यक्तिगत भाव-लहज़ा और स्थानीय सम्प्रदायों की झलक।
सुरक्षा एवं सुविधा व्यवस्था का जिक्र, ताकि पाठक तैयार रहें।
प्रासंगिक समाचार अपडेट
11 जुलाई 2025, रात 2:06 बजे से - कांवड़ यात्रा प्रारंभ: 11 जुलाई 2025 से ही शुरू मानी जाती है
- समापन: अधिकांश जगहों पर यात्रा 23 जुलाई 2025 (सावन शिवरात्रि) को समाप्त होगी । कुछ क्षेत्रों में 9 अगस्त तक जारी भी रहती है ।
🕉️ आध्यात्मिक महत्व
श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। कांवड़ यात्रा बारहवें शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाने की भक्ति का महापर्व है।
इसकी मूल कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है—शिव ने विष पिया था, तब भक्तों ने उन्हें राहत देने गंगाजल चढ़ाना शुरू किया ।
🚶♂️ यात्रा स्थल और प्रमुख गंगाजल लेने की जगहें
कांवड़िए अक्सर ये स्थान चुनते हैं:
- हरिद्वार (Har Ki Pauri) – गंगाजल लेने का प्रमुख स्थल
- गौमुख और गंगोत्री (Gaumukh, Gangotri) – हिमालय से गंगाजल लाने के लिए
- प्रयागराज (Sangam, Dashaswamedh गाट) – इलाहाबाद से वट्स और गंगा मिलन के लिए
- काशी (Kashi Vishwanath, Varanasi) – जलाभिषेक का प्रमुख केंद्र
- बागपत (Pura Mahadeva, near Meerut) और औघड़नाथ मंदिर (Meerut) – स्थानीय शिव मंदिर में जल चढ़ाया जाता है
- देवघर (Baidyanath Temple) – झारखंड में श्रावणी मेले के दौरान भी गंगाजल चढ़ाया जाता है
📋 यात्रा के प्रमुख बिंदु
यात्रा की अवधि
तिथि | विवरण |
---|---|
11 जुलाई 2025 | श्रावण मास शुरू, कांवड़ यात्रा आरंभ |
14, 21 जुलाई 2025 (सोमवार) | कावड़ यात्रा विशेष ध्यान और श्रद्धा के साथ • पहला सावन सोमवार 14 जुलाई |
23 जुलाई 2025 | सावन शिवरात्रि—मुख्य जलाभिषेक दिवस |
9–10 अगस्त 2025 | कुछ जगहों पर अंतिम यात्रा |